कोरोना को लेकर अब समय आ गया है

कोरोना को लेकर अब समय आ गया है एक नया दृष्टि पत्र संरचित किया जाए। सबसे पहले सूची दुनिया में देशवार जो आंकड़े दिए जा रहे है, उसमे कोरोना के पहले केस से लेकर आज तक के सभी आकड़े  एक साथ संचयी जोड़कर प्राथमिकता में सूचित करना बेमानी और डरावना है। कहने की जरूरत नहीं की कोरोना की मार शारीरिक और आर्थिक से ज्यादा मनोवैज्ञानिक है। आज समूची दुनिया कोरोना से जिस तरह खौफजदा है, उसे देखते हुये  कोरोना को लेकर फील गुड न्यूज़ की ज्यादा दरकार है। कोरोना के जो मरीज ठीक हो गए है उसे घटाकर जो एक्टिव केसेस है , उसे केवल बताया जाना चाहिए। कोरोना को लेकर बचाव के उपाय के साथ साथ इससे खामखाह नहीं डरने की हिदायत दी जानी जरूरी है। अब तो यह लग रहा है बचाव के बावजूद जो लोग कोरोना की जद में आ जा रहे है , उनमें  ठीक हो जाने का आत्मविश्वास भरना जरूरी है। वैसे भी कोरोना की केजुअल्टी दर पांच फीसदी है। कोरोना को लेकर यह तथ्य स्पष्ट है की unlockdown के बाद  यह जयादा तेजी से बढ़ रही है। अब जबकि देश की  अधिकतर आबादी इस मौके पर कहाँ  रहना चाहती है यह करीब करीब तय हो चुका है और यह  अपने अपने जगहों पर सेटल हो चुकी है।  ऐसे में सरकारों को चाहिए की वे समय समय पर सेलेक्टिव और सेंसिबल तरीके से स्मार्ट lockdown की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखें। कोरोना की वजह से देश की समूची चिकित्सा व्यवस्था अस्त व्यस्त और सरकारी प्राइवेट हॉस्पिटल के होच पॉच में उलझ गयी है। यदि देश में हेल्थ रेगुलेटरी अथॉरिटी का कांसेप्ट आया होता तो यह समस्या आती ही नहीं। बहरहाल इस कोरोना ने समूची दुनिया को जो सीख दी है , उससे आने वाले वक्त में इस सरीखी किसी आपदा से निपटने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी।