पीएम नरेंद्र मोदी का अयोध्या राममंदिर के आगामी 5 अगस्त के शिलान्यास समारोह का उद्घाटन करना निहायत अनुचित
पीएम नरेंद्र मोदी का अयोध्या राममंदिर के आगामी 5 अगस्त के शिलान्यास समारोह का उद्घाटन करना निहायत अनुचित है। इस मंदिर का शिलान्यास किसी बड़े संत महात्मा द्वारा कराया जाये तो बात उचित कही जाएगी। सबसे पहली बात शासन के व्यक्ति द्वारा धार्मिक समारोह का उद्घाटन अगर निजी और व्यक्तिगत रूप से हो , तब तो ठीक है , परन्तु शासकीय रूप से यह देश की संवैधानिक परंपरा और धर्मनिरपेक्षता की नैतिकता के प्रतिकूल है। अब लोग इस प्रसंग पर धर्मनिरपेक्षता शब्द पर तंज कसना शुरू कर देंगे। हम क्षदम धर्मनिरपेक्षता पर तंज कसते है, धर्मों के तुष्टिकरण पर तंज कसते हैं , तब तो बात समझ में आती है। परन्तु धर्मनिरपेक्षता किसी भी आधुनिक लोकतंत्र और राष्ट्र राज्य का एक ऐसा गहना है जो हमारे राजकाज को गैरविवादस्पद और निष्पक्ष बनाता है।

वैसे भी राममंदिर का राजनीतिक आंदोलन बीजेपी ने लालकृष्ण अडवाणी की नेतृत्व में लड़ा था। उस समय भी राम मंदिर की सरकार से होने वाली वार्ता में बीजेपी खुद नहीं विहिप और राम मंदिर न्यास के लोग भाग लेते थे। अब जब मंदिर का शिलान्यास हो रहा है तो बीजेपी के प्रधानमंत्री उसमे क्यों शिरकत कर रहे है। इसमें अडवाणी जी शिलान्यास करें तो बात तार्किक लगेगी क्योंकि वह आज की तारीख में राजनीती में नहीं है